माना दुख पहाड़ सा खड़ा है,
माना अंधेरा काली रात सा घना है,
माना निराशा, बेबसी घेरे है,
माना उम्मीद दम तोड़ रही है,
पर मानों, प्रकृति का नियम कड़ा है,
पौ फटेगी और अंधेरा छटेगा,
स्वास है, जीवन है, जीवित हो,
निराशा की ज़मीन पर बारिश गिरेगी,
और आशा का बीज निष्चित उगेगा!
©charu gupta and potpourri of life.