कुछ मिट्टी के बर्तन, कुछ कांच के मर्तबान
सूखा कैरी का अचार, आटे खांड के लड्डू
आंगन में एक नीम का पेड़, निवाड की खाट
मुझे चाहिए बस अपने हिस्से का आसमान
ऊंची इमारतों के बंद घरों में सांस कुछ कम आती है
नरम गद्दों पर मैं अक्सर करवटें बदलती हूं
सड़क पर दौड़ती कारें ज़िंदगी को पीछे छोड़ चली हैं
लोगों की भीड़ में भी कितना अकेला सफर है
एक कच्चा रास्ता, कभी तालाब तो कभी खेत तक जाता
धूप छांव की दोपहरी में मटके का सोंधा पानी
गुड़ की डली, दूध का कुल्लड़ और तारों की चादर
बस इतना सा ही तो आसमान चाहिए मुझे
© 2020 Charu Gupta and Potpourri of life.
behad khub
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Thank you 🌸
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Wow Charu!
Its beautiful!
I too want all such things, this is real bliss!
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Thanks Rashmi 😊
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